पूर्ण महाकुम्भ 144 वर्षोंबाद प्रयागराज में लगता है। यह 12 महाकुम्भों को मिलाकर होता है और महाकुम्भ 12 वर्षों बाद आता है जो 2 अर्ध्दकुम्भ को मिलाकर होता है और अर्ध्दकुम्भ 6 वर्षों बाद आता है जो 6 कुम्भ को मिलाकर होता है और कुम्भ प्रत्येक वर्ष लगता है।
कुम्भ का मेला भारत में मुख्यत | चार जगहों पर लगता है-
- प्रयागराज
- हरिद्वार
- नासिक
- उज्जैन
जिनमें से पूर्ण महाकुम्भ केवल प्रयागराज में ही लगता है, यहाँ पर तीन धार्मिक नदियों ( गंगा, यमुना और सरस्वती) का परस्पर प्रेम मिलन होता है, जिसे संगम के नाम से भी जाना जाता है और आपसी मिलाव के बाद गंगा और यमुना नदी एक साथ बहती है और उनकी धारायें कभी भी एक दूसरे से मिलतीं नहीं और ऐसा पुराणों और शास्त्रों में बताया जाता है कि सरस्वती नदी संगम में पाताल लोक से निकलती है और वहीं समाहित हो गई है।
हमारे धार्मिक ग्रन्थों तथा वेद पुराणों में बताया जाता है कि जब समुद्र मंथन हुआ था तो उसमें से चौदह रत्न प्राप्त किये गए थे। जिसमें इन चौदह रत्नों में अमृत भी शामिल हैं। जब समुद्र मंथन हुआ तो अमृत को लेकर धन्वंतरिजी समुद्र से बाहर आये तो देवता केवल स्वयं अमृतपान करना चाहते थे और राक्षस केवल स्वयं अमृतपान करना चाहते थे जिसके कारण देवता और असुरों के मध्य युद्ध हुआ और असुरों का राजा बलि अमृत लेकर पाताल लोक चला गया और सभी देवतागण भगवान् श्री हरि बिष्णु के पास गयें और प्रार्थना किये की पाताल लोक से अमृत वापस ले आये, जिससे भगवान् श्री हरि बिष्णु ने स्त्री (मोहिनी रूप) का रूप धारण कर के असुरों से अमृत वापस ले लिया और बारी बारी से देवताओं को अमृतपान कराया, जिसमें एक राक्षस देवता का रूप धारण करके अमृतपान किया, परंतु बिष्णु को पता चला और उन्होंने सुदर्शन चक्र से उसका गला काट दिया तथा बचे हुए अमृत कलश को पक्षीराज गरूड़ को दिये और बोले कि इसे ले जाकर बैकुंठ में रख दें। जब पक्षीराज गरूड़ अमृत की कलश को लेकर जाने लगे तो कलश से अमृत की चार बूदें नीचे पृथ्वी पर गिर गई, जिसको लोग चारों धाम के नाम से पुकारते हैं।
- प्रयागराज
- हरिद्वार
- नासिक
- उज्जैन
पूर्ण महाकुम्भ 2025 की व्यवस्थायें |
पूर्ण महाकुम्भ 2025 की व्यवस्थायें निम्नलिखित हैं-
- पूर्ण महाकुम्भ मेले में आये हुए समस्त भक्तगणों के लिए उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री आदित्यनाथ योगी जी ने उनके स्वास्थ्य के लिए मुफ्त अस्पताल की व्यवस्था की है।
- पूर्ण महाकुम्भ 2025 के महोत्सव महापर्व एवं महामेला में आये हुए समस्त श्रद्धालुओं रहने खाने की व्यवस्था की गई है।
- दुनिया के सबसे विशाल मेला पूर्ण महाकुम्भ 2025 प्रयागराज में आये हुए समस्त श्रद्धालुओं की सुरक्षा व्यवस्था में हमारे देश की जलसेना, थलसेना वायुसेना तथा तमाम प्रकार के सैनिनिक सुरक्षा व्यवस्था में लगे हुए हैं।
- पूर्ण महाकुम्भ 2025 में आये हुए समस्त श्रद्धालुओं के नहाने केलिए गंगा तट एवं त्रिवेणी तट पर सुरक्षित व्यवस्था की गई है।
पूर्ण महाकुम्भ में कौन कौन से लोग आते हैं –
पूर्ण महाकुम्भ मेले में संसार में रहने वाले समस्त सचराचर जीवों के लिए इस मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें देवी, देवता, दानव, यक्ष, किन्नर, नर, नारायण, साधु, संत एवं अघोरी, महात्मा जन श्रद्धा पूर्वक आते हैं और अपने मनोरथ को सफल बनाते हैं। इस वर्ष पूर्ण महाकुम्भ 2025 में ऐसा बताया जा रहा है कि लगभग 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं का आगमन होगा और यहाँ स्नान करके पुण्य प्राप्त करेंगे.
इस वर्ष पूर्ण महाकुम्भ में 6 महत्वपूर्ण शाही स्नान किया जाएगा-
- 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के दिन
- 14 जनवरी को मकर संक्रान्ति के दिन
- 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन
- 02 फरवरी को बसंत पंचमी के दिन
- 12 फरवरी को माघ पूर्णिमा के दिन
- 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन
पूर्ण महाकुम्भ से जुड़ ी कुछ खास बातें |
महाकुम्भ सनातन धर्म में बहुत ही खास महत्व रखता है। दुनिया भर में भ्रमण कर रहे साधु संत व महात्माओं को कुम्भ मेले का बडे़ ही बेसब्री से इंतज़ ार होता है।
सनातन धर्म में कुम्भ मेला बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। कुम्भ मेला बारी बारी पवित्र स्थानों प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक व उज्जैन में आयोजित किया जाता है। इस वर्ष 2025 में कुम्भ नहीं बल्कि पूर्ण महाकुम्भ मेला लग रहा है। पूर्ण महाकुम्भ मेले में शाही स्नान कर के भक्त, साधु संत पुण्य की डुबकी लगायेंगे। जाने पूर्ण महाकुम्भ की शाही स्नान के बारे में कुछ रोचक बातें-
FAQ’S
1.पूर्ण महाकुम्भ 2025 कब से कब तक लगेगा?
Ans :- पूर्ण महाकुम्भ 2025 का मेला प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 पौष पूर्णिमा के दिन शाही स्नान से प्रारंभ होगा और 29 फरवरी 2025 महाशिवरात्रि के दिन पूर्ण महाकुम्भ 2025 का समापन होगा। पूर्ण महाकुम्भ 2025 मेले की अवधि कुल 44 दिनों की है।
2.पूर्ण महाकुम्भ में स्नान करने से क्या फल मिलता है?
Ans :- शास्त्रों के अनुसार पूर्ण महाकुम्भ में स्नान व पूजा करने से कई गुना अधिक पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि पूर्ण महाकुम्भ में स्नान करने से सभी पापों का नाश हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
3. तन मन की शुद्धिधि के लिए करें एक माह के लिए महाकुम्भ में कल्पना से.
Ans :- कल्पवास माघ महीने में किया जाने वाला व्रत होता है, जिसका उद्देश्य तन और मन में उपस्थित विकारों को निकालकर मोक्ष की राह की तरफ अग्रसर होना। पूरे एक महीने का यह व्रत पूरे वर्ष शरीर तथा मन को ऊर्जा प्रदान करता है। प्रयागराज के संगम तट पर एक माह रहकर लोग कल्पवास करते हैं। यह परम्परा सदियों से चलीं आ रही है।
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